Antariksh

हाँ, करता मैं बातें मेरी आईने से देखो तेरी
तुझसे कैसे खुल के वैसे बोलूँ मैं ये राज़ दिल के?
अब तेरे सामने हूँ, कितना कुछ मैं कहना चाहूँ
मुझको ये बता दे फ़िर क्यूँ खोजूँ मैं अल्फ़ाज़ मिल के

देखो ये आईना, आए ना तू क्यूँ यहाँ?
आईने में साथ मेरे तेरी ही तो है जगह
उलझा हूँ अल्फ़ाज़ों में ही, निकले ना आवाज़ों में कि
पास मेरे, पास में आजा, आजा ना

आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे, आ रे आ

तेरे सितारों में या इक तारा हज़ारों में क्या?
मेरे इन सवालों का मैं ढूँढूँ यूँ जवाब ऐसे
लाखों-हज़ारों में क्या? मामूली किरदारों में या
आऊँ इन ख़यालों में मैं बन के कुछ नायाब ऐसे

तू ही है आसमाँ, मेरे दिल को आज़मा
आसमानी तारों में मैं ढूँढूँ यूँ अपनी जगह
मेरे भी ख़यालों में तू दुनिया के किनारों से यूँ
पास मेरे, पास में आजा, आजा ना

आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे, आ रे आ

सुन तो...
एक दिन ये दिल मेरा होगा बेनक़ाब, हाँ
और फिर तुझे नज़र आएगा कि
अंतरिक्ष की तरह ये है बेहिसाब सा
और सब तेरा ये हो जाएगा ही

दिल के अफ़साने मेरे कह ना पाया सालों से मैं
सोचूँ ये ख़ज़ाने मेरे बाँटूँ सारे आज तुझसे
बनते बहाने मेरे, टालूँ क्यूँ ना जाने कल पे
हूँ जो अब मैं पास तेरे, बैठा हूँ नाराज़ ख़ुद से

बंद हैं तालों में, टालूँ सारी बातें ये
टालूँ सारी बातें क्या मैं तेरे इंतज़ार में?
रहता हूँ उम्मीदों में क्या? तू ही मुझको कह देगी
आ पास मेरे, पास में आजा, आजा ना

आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे, आ रे आ

आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे आ, आ रे आ
आ रे, आ रे, आ रे, आ रे
आ रे, आ रे आ



Credits
Writer(s): Anuv Jain
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