Hairat Si

हैरत सी होने लगी
देखी जो अपनी ये ज़िंदगी
जी रहा है चैन से वो
दे के ज़ख्मों सी ज़िंदगी

वो साँझ मेरा है वक़्त मेरा
ढूँढा जिसको बेवक़्त भला
वो मेरा है उसको खबर नहीं
मेरे प्यार की उसको कदर नहीं

हैरत सी होने लगी
देखी जो अपनी ये ज़िंदगी
जी रहा है चैन से वो
दे के ज़ख्मों सी ज़िंदगी

इक ख़ता हमसे हुई
इक ख़ता तुमसे हुई
इश्क़ किया था हम दोनों ने
पर हमको ही क्यूँ सज़ा मिली

मंज़र था वो पल भर का
बन बैठा दिल में ख़ंजर सा
हरा-भरा था ये मन मेरा
अब लागे ये बंजर सा

हैरत सी होने लगी
देखी जो अपनी ये ज़िंदगी
जी रहा है चैन से वो
दे के ज़ख्मों सी ज़िंदगी



Credits
Writer(s): Iswar Anand Panday
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