Sulah

सुन ना, ऐ, सुन ना
सुन ना, ऐ ज़िंदगी, चाह के ना हो सकी
तेरे-मेरे दरमियाँ सुलह नहीं
है अँधेरों में छिपी सुबह, सुबह नहीं

तेरे-मेरे दरमियाँ सुलह नहीं
है अँधेरों में छिपी सुबह, सुबह नहीं

चादरों से सिलावटें ना हटें
बे-उम्मीद, बे-नींद करवटें
चादरों से सिलावटें ना हटें
बे-उम्मीद, बे-नींद करवटें

ज़िंदगी, तेरा वादा था, तू सवेरा लाएगी
रोशनी की स्याही से क़िस्मतें लिख जाएगी

रहने दे, ज़िंदगी, तेरे बस की नहीं
मुस्कुराने की जो दे सके वजह कोई
है अँधेरों में छिपी सुबह, सुबह नहीं

क़िस्मतों ने बदली अपनी करवटें
पूरी होने को हैं अपनी हसरतें
क़िस्मतों ने बदली अपनी करवटें
पूरी होने को हैं अपनी हसरतें

शुक्रिया, ऐ ज़िंदगी, आख़िर में ही सही
तेरे-मेरे दरमियाँ सुलह हुई
है अँधेरों से उगी सुबह, सुबह नहीं

(सुबह नहीं)
(सुबह नहीं)
(सुबह नहीं)
(सुबह नहीं)
(सुबह नहीं)



Credits
Writer(s): Ravi Ra
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