Damai Maharaj

(मंगलम् भगवान विष्णु:, मंगलम् गरुणाध्वज:)
(मंगलम् पुण्डरी काक्ष:, मंगलाय तनो हरि:)
(मंगलम् भगवान विष्णु:, मंगलम् गरुणाध्वज:)
(मंगलम् पुण्डरी काक्ष:, मंगलाय तनो हरि:)
(गपग, गपग, गपग-ग गपग-ग)
(सागरे-रे, सागरे-रे, धरेसा-सा धधसा-सा)
(गपग, गपग, गपग-ग गपग-ग)
(सागरे-रे, सागरे-रे, धरेसा-सा धधसा-सा)
ल सुरु गरौँ?
(गरौँ, गरौँ)

मन, मनकै कुरा गर्छु, मनैबाट सुन्नु (ओम)
मन, आफ्नो मन कस्तो? लौ, आफैले गुन्नु (ओम)

मन त हुन्छ चञ्चल, मन त हुन्छ चुलबुल
मनलाई फकाउनुपर्छ बालक फकाएझैं
नत्र गर्छ सलबल
(ए, गर्छ सलबल)

हल हल हल, मन, हल हल हल
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)

(ए, राधा पियारी, खै त कृष्ण?) मधुवनैमा
(ए, राधा पियारी, खै मधुवन?) खोज मनैमा
(ए, राधा पियारी, खै त कृष्ण?) मधुवनैमा
(ए, राधा पियारी, खै मधुवन?) खोज मनैमा

मन, मनमै हुन्छन् कृष्ण, मनमै कंश पनि (ओम)
मन, मनमै हुन्छन् राम, रावणको अंश पनि (ओम)

मनैले सोच्छ पाप, मनैले सोच्छ धर्म
जस्तो गरिन्छ कर्म, त्यस्तै आउँछ फल
(ए, त्यस्तै आउँछ फल)

हल हल हल, मन, हल हल हल
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)

(ए, सुन पार्वती, खै त शिव?) कैलाश पर्वतमा
(ए, सुन पार्वती, खै त पर्वत?) मनकै जगतमा
(ए, सुन पार्वती, खै त शिव?) कैलाश पर्वतमा
(ए, सुन पार्वती, खै त पर्वत?) मनकै जगतमा

मन, कल्लाई छैन दुःख? कल्लाई छैन पिर? (ओम)
मन, कर्मैले दुःख-पिर दिन्छ सबैतिर (ओम)

कहिले सुख माथि, कहिले दुःख तल
कहिले दुःख माथि, कहिले सुख तल
जीवनचक्र माथि-तल
(ए, जीवनचक्र माथि-तल)

हल हल हल, मन, हल हल हल
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)

मन, सबै छ भन्छन् संसारमा, तर सबै छैन (ओम)
मन, आफ्नो मन आफैले बुझाउने हो
मनको दवाई छैन (ओम)

रोएपनि जान्छ जीवन, हाँसेपनि जान्छ
जीवन चोला, बग्ने खोला, बग्छ सलसल
(ए, बग्छ सलसल)

हल हल हल, मन, हल हल हल
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)
(हल हल हल, मन, हल हल हल)



Credits
Writer(s): Prakash Saput
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