Woh Adhure Khwaab (From "Do Gubbare")

वो अधूरे ख़्वाबों का मुझे छा जाना
वो नींदों का फिर से खिल जाना
रूह में अजनबी के दिल जो बसा है
अपना कोई खोया था, वो पास आ गया है

हो, नाज़ुक से इन लम्हों में खो जाना
सदमों के यादों को अपनाना

यूँ ही नहीं है आसाँ अपनों का बिछड़ना
फिर भी यही है रस्ता अनूठा पकड़ना
क़िस्मतों के कड़ियों से बँध के जुड़ा है
सामने संजोग से कोई अपना खड़ा है



Credits
Writer(s): Saurabh Suhas Bhalerao, Sunil Sukhtankar
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