Baatein ab hoti kahan

अकेले से हैं हम, कहते नहीं हैं
हम ख़ुद के भी क़रीब रहते नहीं हैं
अपना जो था कल कोई, खो गया
सपना तो था, पर वही सो गया

यादों में छुप के, आँखों में रुक के
रातें अब होती कहाँ

बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ

क़रीब से किसी को कभी फिर देखा ही नहीं
राँझे की तरह किसी पे कभी दिल फेंका ही नहीं
क़रीब से किसी को कभी फिर देखा ही नहीं
राँझे की तरह किसी पे कभी दिल फेंका ही नहीं

ख़ुद की ख़ुद से और मेरी मुझसे
मुलाक़ातें अब होती कहाँ
काग़ज़ की नाव, इक छतरी की छाँव
बरसातें अब होती कहाँ

बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ
बातें अब होती कहाँ



Credits
Writer(s): Rajat Tiwari
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