Faasla

आज भी मैं उस जगह
जिस जगह हुए थे जुदा
क्या ख़ुशी, क्या ही ग़म
अब जो तू ही ना रहा

बारिश तो अब भी आती है
पर आते नहीं हो क्यूँ तुम?
शामों में तुम भी रोए हो
ये बताते नहीं हो क्यूँ तुम?

हारा मैं, हारे तुम
जीता क्यूँ ये फ़ासला?
आज भी मैं उस जगह
जिस जगह हुए थे जुदा

है गवाह मेरे इश्क़ की सारी ज़मीं, सारा फ़लक
तुझसे मिली मुझे हर ख़ुशी, तुझको दिए मैंने सारे हक़
फ़िर किसकी लगी ऐसी नज़र
जो ना उतरी है दूर जाने तक?

वो वादा था, तुम ना जाओगे
वो निभाते नहीं हो क्यूँ तुम?
दोनों में इश्क़ बाक़ी है
ये दिखाते नहीं हो क्यूँ तुम?

चाँद जब, तारे हों
ख़ाली क्यूँ है ये आसमाँ?
आज भी मैं उस जगह
जिस जगह हुए थे जुदा

पलकें खुलें जो, रातों को आए तेरी याद
आए तेरी याद
हमको तो ना मिला कोई तेरे बाद
कोई तेरे बाद

हो सके तो अब तुम फिर ना आना
भूल ही जाना हमें
अब जो फ़िर से आओगे तो
जाने ना देंगे तुम्हें हम

हो, रो-रो के जब भी सोते हैं
तो जगाते नहीं हो क्यूँ तुम?
रूठे हैं, जानते हो ये
तो मनाते नहीं हो क्यूँ तुम?

आख़िरी ये दुआ
ख़ुश रहे, यारा, तू सदा
आज भी मैं उस जगह
जिस जगह हुए थे जुदा



Credits
Writer(s): Darshan Raval
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