Kaagaz Ke Phool

ये मन रख लो, मुझको आहें भरने दो
भोली कोई एक शिकायत करने दो
काग़ज़ के फूल तो मुरझाना जाने ना
उनपर पतझड़ की बे-रहमी बरसे तो?

दिल ज़ंजीरों में, छूटे कैसे?

आँखों से कह दूँ, बग़ावत सह लूँ
बेगाने चाहत की लहरों में बह लूँ
तुम हो खुली किताब या शायरों का राज़
तुम बिन मैं जी ना पाऊँ

Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh

करो, जी भरके बुराइयाँ करो
लेकिन बिगड़ के पराई मत बनो
मैं हूँ दीवाना दीवानी रातों में
ये भूत लातों के ना माने बातों से

दिल ज़ंजीरों में, छूटे कैसे?

आँखों से कह दूँ, बग़ावत सह लूँ
बेगाने चाहत की लहरों में बह लूँ
तुम हो खुली किताब या शायरों का राज़
तुम बिन मैं जी ना पाऊँ

Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh-oh
Oh-oh-oh



Credits
Writer(s): Janisht Joshi
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