Kehne Ko

कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं
कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं
देखो ऐसे दिल को ना तोड़ो
पहले से ही हम टूटे हैं
गैरों की क्या बातें करें जब
अपने ही अपनों से रूठे हैं
साथ भी छूटे हैं, वादे भी झूठे हैं
गई तू जब से, वही हूँ तब से
मिलने को तरसे
जब निकले हम घर से
ना करने को खर्चे
बस... एक बार फिर से
चाहूँ उन हाथों को छूना
बस... एक बार फिर से
चाहूँ उन लम्हों को जीना
बस... एक बार फिर से
तू जीत गई और मैं हारा
बस... एक बार कह दे
मैं मिलूँगा ना फिर दोबारा
कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं
कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं
चेहरे के पीछे कितने हैं राज
दिखने दो आज, लिखने दो आज
पुण्य या पाप, सबका हिसाब
सब एकसाथ हुए खिलाफ
प्यार नहीं कोई game है
तुम्हारे लिए सब same है
दर्द मेरा, मेरे pen में
खुश रहना मेरा aim है
कहने को फर्क नहीं पड़ता
फिर आँखों में क्यों ये नमी है
महसूस होती तेरी कमी है
मेरे ऊपर ना है आसमान
ना पैरों के नीचे ये ज़मी है
क्यों पहले जैसे हम नहीं हैं
गम नहीं है, ज़म रही है
मेरी सांसें, तेरी बातें,वो यादें
दिमाग में हरघड़ि हैं
कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं
कैहने को तू थी मेरी
अब बातें ना होती तेरी
जब से खोया मैं लौटा नहीं
फिर आया कोई मौका नहीं



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