Zaroori Tha - Acoustic

लफ़्ज़ कितने ही तेरे पैरों से लिपटे होंगे
तूने जब आख़िरी ख़त मेरा जलाया होगा
तूने जब फूल किताबों से निकाले होंगे
देने वाला भी तुझे याद तो आया होगा?

तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था
मोहब्बत भी ज़रूरी थी, बिछड़ना भी ज़रूरी था
ज़रूरी था कि हम दोनों तवाफ़-ए-आरज़ू करते
ज़रूरी था कि हम दोनों तवाफ़-ए-आरज़ू करते
मगर उन आरज़ुओं का बिखरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था

बताओ, याद है तुम को वो जब दिल को चुराया था?
चुराई चीज़ को तुमने ख़ुदा का घर बनाया था?
वो जब कहते थे, मेरा नाम तुम तस्बीह में पढ़ते हो
मोहब्बत की नमाज़ों को क़ज़ा करने से डरते हो

मगर अब याद आता है, वो बातें थीं महज़ बातें
कहीं बातों ही बातों में मुकरना भी ज़रूरी था
तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी ज़रूरी था

Mm-hmm, ज़रूरी थी, बिछड़ना भी ज़रूरी था



Credits
Writer(s): Sahir Ali Bagga, Khalil Ur Rehman
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