Mazey Mein

छोटी-छोटी सी बातें हैं भूल जाते
चल, आज तू और मैं
आगे ना जाने राहें कहाँ लेके जाएँ
फ़िर भी क़दम इनमें मस्ती में भागे

अब बे-फ़िक्र होके साँसें जिए

मज़े में सुबह-रात
हैं चले, हाँ, साथ-साथ
मज़े में नए ख़ाब
हैं चले दिनों के बाद

मेरे यार

सारा कोहरा उठा के, नर्मी बिछा के
सहलाए सूरज हमें
लंबे पेड़ों के पीछे छुपा के जो सींचे
नन्हें से सपने वो भी खिलखिलाएँ

तभी आज भूलें हम दायरे

मज़े में सुबह-रात
हैं चले, हाँ, साथ-साथ
मज़े में नए ख़ाब
हैं चले दिनों के बाद

मज़े में सुबह-रात
हैं चले, हाँ, साथ-साथ
मज़े में नए ख़ाब
हैं चले दिनों के बाद

मज़े में...



Credits
Writer(s): Siddhant Kaushal, When Chai Met Toast
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