Bemaayne 2.0

बारिशों के मौसम में ठंडक वो
पहले सी है कहाँ
सारा कुछ तो संग ले गए हो
जाने गए हो कहाँ

मुझमें बाक़ी हो दूर जा के
ये कैसा क़ाइदा है?
फूल खिलने की, साँस चलने की
कोई ना वजह है

अब ना तुम्हारा संग है तो
गुलाबी रंग भी हैं बे-मायने
यूँ तो नज़र भर के हैं
नज़ारे फिर भी हैं बे-मायने

कैसी ये तेरी कमी है?
कुछ भी सही तो नहीं है
ख़ुद को लगूँ मैं तुम बिन

बे-मायने, बे-मायने
बे-मायने, बे-मायने

पहले सा वो कुछ भी कहाँ है
कि जब से तुम हो गए
कल तो थे मेरी बाँहों में
आज ग़ैर क्यूँ हो गए?

दर्द होता है दिल में ऐसा
कि कुछ सुहाता नहीं है
घर किया तूने जब से आँखों में
कोई भाता नहीं है

तुम बिन मेरा सफ़र भी है
शाम-ओ-सहर भी हैं बे-मायने
यूँ तो नज़र भर के हैं
नज़ारे फिर भी हैं बे-मायने

कैसी ये तेरी कमी है?
कुछ भी सही तो नहीं है
ख़ुद को लगूँ मैं तुम बिन

बे-मायने, बे-मायने
बे-मायने, बे-मायने



Credits
Writer(s): Saaveri Verma, Siddharth Slathia
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