Kya Karenge

जब चाँद नज़र ना आएगा
और तारे भी गुम हो जाएँगे, हम क्या करेंगे?
पत्ते नीले पड़ जाएँगे
और फूल कभी ना आएँगे, हम क्या करेंगे?

काली नदियों पे रातों की
परछाइयाँ जब रोएँगी, हम कहाँ फिर जाएँगे?
हम क्या करेंगे? हम क्या करेंगे?

जब चाँद नज़र ना आएगा
और तारे भी गुम हो जाएँगे, हम क्या करेंगे?
पत्ते नीले पड़ जाएँगे
और फूल कभी ना आएँगे, हम क्या करेंगे?

बादलों की छाँव भी धूप ही बन जाएगी
इमारतों की भीड़ में हवाएँ भी खो जाएँगी
(हवाएँ भी खो जाएँगी)

हो, बादलों की छाँव भी धूप ही बन जाएगी
इमारतों की भीड़ में हवाएँ भी खो जाएँगी
(हवाएँ भी खो जाएँगी)

ऊँचे पहाड़ों की गूँजती चीखों से
चीखते शहरों के टूटते पेड़ों से
एक सुरीली कोयल जब बेसुरी हो जाएगी
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)

जब चाँद नज़र ना आएगा और तारे भी गुम हो जाएँगे
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
पत्ते नीले पड़ जाएँगे और फूल कभी ना आएँगे
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)

काली नदियों पे रातों की
परछाइयाँ जब रोएँगी, हम कहाँ फिर जाएँगे?
हम क्या करेंगे? हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)

जब चाँद नज़र ना आएगा
और तारे भी गुम हो जाएँगे
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)

हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
हम क्या करेंगे? (क्या करेंगे?)
क्या करेंगे (क्या करेंगे?)



Credits
Writer(s): Osho Jain
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