Baaki

तू दिल के मेरे चंद लफ़्ज़ों में ही
१०० टुकड़े कर के चल रहा है यूँ ही
मैं तेरे लम्हों में फिर भी ढूँढूँ ख़ुद को कहीं
क्या ना कर दूँ अभी, जो तेरे ज़िक्र की मैं हो सकी

वही हुआ ना तेरा जो बयाँ मेरे ही ख़यालों का
हाँ, मिले ही नहीं मुझी से कभी ज़मीं-आसमानों सा
कहीं मिले दो यूँ बीच में हो कभी हुआ ना ऐसा
अभी मिले जो कहूँ तुझे वो दबा के ये दिल बैठा

माने नहीं दिल ये अभी
बात रुकी सी यहाँ

हुआ ख़तम क्या ये भरम
या अभी थोड़ा सा बाक़ी?
हुआ ख़तम क्या ये भरम
या अभी थोड़ा सा बाक़ी?

Mmm, मैं आज भी हवाओं में कहीं
तेरे पंखों से उड़ लूँ आसमानों में कहीं
देखने को जो आज दिल की हार है हुई
या फिर नहीं

माने नहीं दिल ये अभी
बात रुकी सी यहाँ

हुआ ख़तम क्या ये भरम
या अभी थोड़ा सा बाक़ी?
हाँ, हुआ ख़तम क्या ये भरम
या अभी थोड़ा सा बाक़ी?



Credits
Writer(s): Shalmali Kholgade, Rajan Batra
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