Galti

तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से
तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से

क़िस्सों में तेरा ज़िकर आ ही जाता है
दिल को है तेरी फ़िकर, ये रह नहीं पाता है
क़िस्सों में तेरा ज़िकर आ ही जाता है
दिल को है तेरी फ़िकर, ये रह नहीं पाता है
ख़्वाब-ओ-ख़यालों में अक्सर मिलता हूँ तुझ से
पर सच्ची ज़िंदगी में तू क्यूँ आ नहीं पाता है?

जाना चाहूँ उस जगह पर
जहाँ याद तेरी ना आए
मैं तुझ से तो लड़ लूँगा
पर मुझे कौन समझाए?

तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से
तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से

तूने मुझ को मेरी कमियों से जाना है
हाँ, मैं बुरा हूँ, पर बुरा ज़्यादा ये ज़माना है
ना जानूँ, तेरे होंठों की क्या मजबूरी है
बस वही छुपाते हैं जो हाल ज़रूरी बताना है

ना हो दिल में कोई शिकवा तेरा
फ़रियाद कोई ना आए
मेरे आँसू भी आकर सूख गए
पर तुझ को शरम ना आए

तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से
तू आज भी जो कह दे, ग़लती हो गई तुझ से
मैं माफ़ तुझे कर दूँगा, पर नाराज़ हूँ ख़ुद से



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