Aakhri Khat

वतन मेरे, तेरे लिए
छोड़ा है मैंने आख़िरी खत में आख़िरी पैग़ाम
वतन मेरे, तेरे लिए
तेरी आबादी पे मेरे सौ जनम क़ुर्बां

त्योहारों में गूँजे चार दिशाएँ
एक ही धुन देश मिल ये गाए
हो, भले भाषा अलग पर एक हो पहचान
बनेगा उस दिन ही ये मेरा भारत महान

छोड़ा है मैंने आख़िरी खत में आख़िरी पैग़ाम

गोद सूनी ले रोए ना कोई माँ
आने वाले कल की नींव रखे युवा
खेतों में फसल, फूल बाग़ों में खिले
रस्तों पे कोई ख़ाली पेट ना सोए

वतन मेरे, तेरे लिए
छोड़ा है मैंने आख़िरी खत में आख़िरी पैग़ाम
छोड़ा है मैंने आख़िरी खत में...



Credits
Writer(s): Nilayan Chatterjee
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