Saath Nahi

भूलूं तुमको हर साल मगर
बनके बारिश तुम आ जाती हो
रहती कुछ दिन साथ मेरे
फिर बादल बन उड़ जाती हो

पहली दफ़ा वो मिलना हमारा
ज़ुल्फ़ों का उड़ना ओ यारा
जाते जाते मुड़ना तुम्हारा
आँखों से मुझको बुलाना

हँसते हँसते रोना तेरा
बाहों में मुझको छुपाना तेरा
कैसे कहोगी तुम्हे याद नहीं
वो बात अलग है अब हम
साथ नहीं
साथ नहीं
साथ नहीं

दरबदर भटकता हूँ मैं
जैसे कोई मंज़िल नहीं
ख़्वाबों में मिलती हो पर
नज़र तुम क्यों आती नहीं

ढूंढूं तुमको हर शाम मगर
बनके सूरज ढल जाती हो
रातों में भी ढूंढूं तुम्हें
चाँद बन कर छुप जाती हो

आख़री दफ़ा वो मिलना हमारा
साँसों का ठमना ओ यारा
जाते जाते बिछड़ना हमारा
यादों से मुझको मिटाना

हँसते हँसते रोना तेरा
बाहों में मुझको छुपाना तेरा
कैसे कहोगी तुम्हे याद नहीं
वो बात अलग है अब हम
साथ नहीं
साथ नहीं
साथ नहीं



Credits
Writer(s): Sajid Shahid, Siddhant Bansal
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