Mitwa

खोलो खिड़की
अपने तुम दिल की
देखो आया कौन
मैं अंजाना
तेरी गलियों मैं
तुने बुलाया क्यों

खोलो खिड़की
अपने तुम दिल की
देखो आया कौन
मैं अंजाना
तेरी गलियों मैं
तुने बुलाया क्यों

चल रही हवाएं धीमी आसमान गुलाबी
पायल छम-छम करती तेरी
मुझको ये बुला रही

केहनी थी बातें जो
वो होठो पे आ रुकी
मौसम केहना चाहता कुछ तो
बहारे खिल उठी है

आप की बातों में नशा है मितवा
जो फसा मैं मितवा
तेरा जादू मितवा
समझाए ना समझे अब दिल ये मितवा
खो गया ये मितवा
तेरा जादू मितवा

धीरे-धीरे से तेरी चाहत बढ़ रही
अब तो लगता है ये चाहत भी आदत बन गई

धीरे-धीरे से तेरी चाहत बढ़ रही
अब तो लगता है ये चाहत भी आदत बन गई
मैने रखा है सजा के आशियाना दिलरुबा
अब तो बाकी है बस लानी उसमें तेरी ये हंसी

गुनगुना रही फ़िज़ाए
धुन कोई वो गा रही
मुड़ के देखो ना सनम
शायद तुमको बुला रही

आप की बातों में नशा है मितवा
जो फसा मैं मितवा
तेरा जादू मितवा
समझाए ना समझे अब दिल ये मितवा
खो गया ये मितवा
तेरा जादू मितवा



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