Pata Nahi Kish Roop Me

क्या लेके तू आया था और क्या लेके तू जाएगा?
क्या लेके तू आया था और क्या लेके तू जाएगा?
ऊँच-नीच और जात-पात से ऊपर कब उठ पाएगा?

सबके अंदर राम बसा है, नफ़रत किस से कर पाएगा?
मन को साफ़ तू करले, क्योंकि

पता नहीं...
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में आके...

सारे जग को बनाने वाला एक है, मुरली वाला
कोई है राजा, कोई भिखारी, खेल है उसका निराला
भोग रहा है तू अपने कर्म को, दोष नहीं है किसी का
आँसू दिए या प्रेम बाँटा है, होता हिसाब उसी का

सबके अंदर राम बसा है, दिल किसका तू दुखा पाएगा?
बाँट ले थोड़ा प्यार तू, क्योंकि

पता नहीं...
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में आके...

ख़ुशनसीब है वो इस जग में जिनका पेट भरा है
उनसे पूछो जिसने पेट की आग से भी लड़ा है
पेट भरे तू अगर भूखे का, कर्म ना इससे बड़ा है
क्या पता वो भूखा तेरे दर खुद मुरली वाला खड़ा है

सबके अंदर राम बसा है, भूखा किसको रख पाएगा?
दान तू कर दिल खोल के, क्योंकि

पता नहीं...
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा

पता नहीं किस रूप में आके नारायण मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह राम के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में आके...



Credits
Writer(s): Mohit Kumar, Traditional
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link