Kaash

थामो मुझे ज़रा
अकेलेपन में जीना नहीं आसाँ
सालों पुरानी कौन थी, मैं ही
लगता है कुछ अजीब

काश, होती कोई पतंग या गाड़ी
जाती मैं अभी-अभी

बदली सी हूँ अब मैं
डर है कि भाग के फिसल ना जाऊँ फिर से
खरीदे हुए आँसू
ढूँढो तो मिलते दीवारों के पीछे

काश, सारे रंग बिकते
अभी-अभी किसी ने ना कहा
कि यही है ज़िंदगी
दर्द होगा ज़रा, पर महसूस नहीं



Credits
Writer(s): Sanjeeta Bhattacharya
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link