Kaash Hum (feat. Garima Aggarwal & Gurkamal Singh)

खामोशियाँँ
तेरी मेरी खामोशियाँँ
खामो

तेरी छोटी-छोटी आँखों में वो बड़ी बड़ी बातें
ख्याल तेरे हर बार हैं मुझको सताते
हस दे जो तू मेरे दुख उड़ जाते
ज़मीनों के बिना मेरे मकान बन जाते
सोचता हूँ रात भर ये ख्वाब क्यों नहीं आते
इस जन्म में तो हम काश मिल पाते
सुनके आवाज़ तेरी हम जो सुख पाते
लफ्जों से सही पर प्यार तो जाताते
जिस्म तो रब का बनाया एक बहाना है
तस्वीरों में भी हमने तेरी रूह को पाया है
कदमो की दूरी ने जो दर्द उठाया
मान लिया है ये सब एक माया है
दिल को भी अपने हमने बहुत समझाया
ख़ामियों से तेरी एक साया जो बनाया
नज़रों ने तेरी उसे कभी अपनाया
फिर भी तेरे दर पे मैं बार-बार आया

क्या उस गली में कभी तेरा जाना हुआ
जहाॅ से ज़माने को गुजरे ज़माना हुआ

दुनिया जो मना करे बार-बार करता हूँ
जिद्दी हूँ सही पर तुझपे तो मरता हूँ
नज़रों में मेरी कभी झाँक के तो देख
इरादे मेरे पाक आज़मा के तो देख
ऐसा लगता है सालों से मैं तुझको जानता
कैसे ये बताऊँ तुझको मैं रब मानता
कोशिशों ने मेरी तुझे करा जो नाराज़ है
नाराज़गी में छुपी एक मेरी ये आवाज़ है
चाह कर भी तू क्यों ना मेरी बन पाई
दूसरों की गलतियों की सजा मैंने पाई
भरोसा मुझे रब पे एक दिन तो वो आएगा
प्यार ना सही पर मारके समझाएगा
इश्क ना कर वरना बहुत पछताएगा

If it stays, it's love
If it ends, it's a love story
If it never begins, it's poetry

करीब तेरे दिल के कभी तो पहुँच जाऊँगा
उस दिन तुझे अपने नगमे सुनाऊंगा
मर्ज़ मेरे दर्द का मै तुझको बताता हूँ
क्यों आख़िर मैं तुझको इतना चाहता हूँ
हसीन तेरे जैसे रोज़ सड़कों पे पाता हूँ
तेरी वाली जगह क्यों ना मैं दे पाता हूँ
हर तेरी चाहत को अपना बनाया
रखूँ तुझे खुश यही सपना सजाया
एक-एक चीज जो कि तेरे आँसू लाया
बार-बार उसे उखाड़ के दिखाया
जहाँ-जहाँ बोला तूने ये ना हो पाएगा
उस-उस बात को है झूठा ठैराया
शब्दों की कमी को है फूलों से निभाया
ख्वाहिशों को तेरी पलकों पे है बिछाया
तू बोलकर तो देख अगर वो ना मैं लाया
ऐसे थोड़ी तुझको मोहब्बत है बुलाया

खामोशियाँ
आकाश है
एहसास है
आवाज़ है
अल्फ़ाज़ है

मैं जानता हूँ तू वही जिसको किस्मत ने चुना है
नींदें उड़ा कर तेरी यादों को बुना है
माना तेरा इश्क से भरोसा जो उठा है
मेरी गलती क्या जो तुझमें दिखता खुदा है
मान चुका हूँ ये नसीब है जो मेरा
दूर होकर भी ये करीब होना तेरा
एक-एक क़श से मैं तुझको भुलाता हूँ
तसवीरों में तेरा चेहरा छुपाता हूँ
खाना तो चाहूँ पर खा नहीं पाता हूँ
मुखड़े से अपने सारे दुखों को दबाता हूँ

ना चाहते हुए भी ये दूरियाँ बहुत कुछ बयान कर जाती हैं
तुम्हारे कहे गए लफ्जों की गूंज कानों में दस्तक दे जाती है
तन्हाइयों से खेलना तो आदत सी बन गई है
अब तो आँसुओं को भी वफ़ाई रास नहीं आती

जानता हूँ आगे बढ़ जाना यही सबसे ठीक है
काश मै ये सुन पाता कल एक तारीख है
मांगू तेरे प्यार को तो जैसे कोई भीख है
कैसे मैं बताऊँ ये बंदा बिल्कुल ठीक है
तेरी साँसों को तो हमने गौर से सुना है
ढूंढ रहे हैं कोई राज़ जो छुपा है
जिस दिन तुझे ये प्यार समझ आएगा
दिल मेरा ये कहीं तो खो जायेगा
आस नहीं मुझे तू वापस करे प्यार ये
सुबह शाम पूछूँ बस एक सवाल ये
इस जन्म में तो हम काश मिल पाते

एहसास है
खामोशियाँ
आकाश है
एहसास है
आवाज़ है
अल्फ़ाज़ है



Credits
Writer(s): Ansh Dixit, Gurkamal Singh
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