Eighteenth of February

ख़्वाब में, मैं सोचता हूं
ख़्वाब वो क्यों बन गई
वो आई कैसे दिल में
क्यों ना दिल को भी खबर हुई
वो आई आसमां से सीधे
दिल में ही उतर गई
वो आई आसमां से सीधे
दिल में ही उतर गई।
मैं गुनगुनाता बातें उसकी
और शायरी बन गई
मैं ढूंढ रहा था जिंदगी
और गुम था मेरा मन कहीं
ये अनकही कहानियां
जो ना उनसे कही
दबी कहीं ये बात थी
थी बात तो ये राज़ की
आवाज़ उसकी साज़ सी
लगे ये प्यारी रात भी
मैं आज भी शहर उनके
रहता घर के पास ही
परछाइयों से
बाते करता आज भी
छुप के देखता हूं
मैं रात भर आज भी
महज़बी चेहरा
रोशन हुई रोशनी
मरहबा, आंखें उसकी
आज भी नाज़नीन
है दूरियां बहुत
पर है तो दिल के पास ही
वो ना दिखे, तो ना मिले
रूह को मेरे सांस भी
धूल पड़ी जिंदगी
लगी-लगी थी साफ सी
हम मिले थे उनसे तो
थे जो हम,ना हम रहे
वो मिले, थे हमसे तो
थे जो ग़म, वो कम रहे
दिल की बात
दिल में ही रहे
तो प्यार दिल में है
वो प्यार मिल गया तो यार
प्यार ना फिर दिल में है
वो प्यार मिल गया तो यार
प्यार ना फिर दिल में है।
ख़्वाब में, मैं सोचता हूं
ख़्वाब वो क्यों बन गई
वो आई कैसे दिल में
क्यों ना दिल को भी खबर हुई
वो आई आसमां से सीधे
दिल में ही उतर गई
वो आई आसमां से सीधे
दिल में ही उतर गई।



Credits
Writer(s): Thakur\'s Boy Ajay Azay
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