Nukta Cheen Hai Gham-E-Dil

नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
क्या बने बात जहाँ बात बनाए न बने?
नुक्ता-चीं है

मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
मैं बुलाता तो हूँ उस को मगर ऐ जज़्बा-ए-दिल
उस पे बन जाए कुछ ऐसी कि बिना आए न बने
नुक्ता-चीं है

ग़ैर फिरता है लिए यूँ तिरे ख़त को कि अगर
ग़ैर फिरता है लिए यूँ तिरे ख़त को कि अगर
कोई पूछे कि ये क्या है तो छुपाए न बने
नुक्ता-चीं है

बोझ वो सर से गिरा है कि उठाए न उठे
बोझ वो सर से गिरा है कि उठाए न उठे
काम वो आन पड़ा है कि बनाए न बने
नुक्ता-चीं है

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
नुक्ता-चीं है ग़म-ए-दिल उस को सुनाए न बने
नुक्ता-चीं है



Credits
Writer(s): Naseem Begum
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