Ram Lakhan Siya Padhare

जय सिया राम
जय सिया राम
रघुपति राघव राजाराम
जय सिया राम

हो, ढम-ढमा-ढम, ढोल बजाओ, गरजने दो नगाड़े
(लौट आए, श्री राम हमारे, लौट आए, श्री राम हमारे)
रोज़ उतारें आरती जिनकी, सूरज, चंदा, तारे
(लौट आए, श्री राम हमारे, लौट आए, श्री राम हमारे)

हनुमान जी के दिले में है, सदा जिनका बसेरा
(हाँ, सदा जिनका बसेरा)
दर्शन को उनके बैठे, हम सारे जमा के डेरा
(हम सारे जमा के डेरा)

मिट गया वनवास, हुए भक्तों के वारे-न्यारे

(राम, लखन, सिया पधारे)
(मेरे राम, लखन, सिया पधारे)

(राम, लखन, सिया पधारे)
मर्यादा पुरषोतम, प्रभु, श्री राम चंद्र की; जय!
(मेरे राम, लखन, सिया पधारे)
बोलो, "केसरी नंदन महावीर, बजरंग बली की; जय!"

(जय श्री राम!)
(जय हनुमान!)

हो, भक्तों के हैं भाग खुले
अयोध्या को अपने राम मिले

हर अनहोनी रोकेंगे, हम इस युग के जटायु
(हर अनहोनी रोकेंगे, हम इस युग के जटायु)
आनंदित है अंबर, धरती, अग्नि, जल और वायु
(आनंदित है अंबर, धरती, अग्नि, जल और वायु)

इस भूमि पर छाया था जो, मिट गया वो अँधेरा
राम-स्मरण से साँझ होगी और राम ही से सवेरा

(ले आए आपकी मूरत, चेहरों पे तेज हमारे)
(पावन हुई ये धरती, खिल उठे, देखो, नज़ारे)

आपकी लीला सारे संसार को सँवारे

(राम, लखन, सिया पधारे)
(मेरे राम, लखन, सिया पधारे)

(राम, लखन, सिया पधारे)
मर्यादा पुरषोतम, प्रभु, श्री रामचंद्र की; जय
(मेरे राम, लखन, सिया पधारे)
बोलो, "केसरी नंदन महावीर, बजरंग बली की; जय"

(सिया राम जी पधारे)
(मेरे राम जी पधारे)



Credits
Writer(s): Mandar Cholkar, Varun Likhate
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