Saza

आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे
आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे
हर मोड़ पे मन अब तुझे ही बुलावे
तुझसे दूरी लगे कि जैसे सज़ा

जान-ए-जाँ, मेरे दिलबरा
एक बात तू ही मुझे बतला
मैं हुआ हूँ तुझसे रू-ब-रू
एक मौक़ा मुझको भी तो दिला दे

ख़यालों पे तेरा है क़ब्ज़ा कोई
क्यूँ मेरा मुझ पे कोई हक़ ही नहीं?
कैसी ये साज़िश है बता?
जो तू खेल है खेले, परवाह नहीं
क्या इरादे हैं तेरे, कह दे अभी
हाथों में हाथों को मिला

आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे
रातों में भी मुझे अब नींद ना आवे
दिल के हर एक मर्ज़ की तू दवा
हर मोड़ पे मन अब तुझे ही बुलावे
मीठे तेरे बोल, आजा, मुझे तू सुना दे
तुझसे दूरी लगे कि जैसे सज़ा

फ़रेबी हैं ये दिन, फ़रेबी हर शाम
जिसमें ना तेरा हो नाम
दीवाना है दिल, दीवाना महफ़िल
ये कैसा तेरा नशा?

बरसातों की रातों में, यादों में, ख़्वाबों में
ढूँढूँ मैं तुझको हर जगह
तेरी आँखों के प्यालों ने सारे जवाबों से
पूछा है ये नया सवाल

आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे
रातों में भी मुझे अब नींद ना आवे
दिल के हर एक मर्ज़ की तू दवा
हर मोड़ पे मन अब तुझे ही बुलावे
मीठे तेरे बोल, आजा, मुझे तू सुना दे
तुझसे दूरी लगे कि जैसे सज़ा

(आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे)
(रातों में भी मुझे अब नींद ना आवे)
(आँखें तेरी, यादें तेरी ऐसे तड़पावे)
(तुझसे दूरी लगे कि जैसे सज़ा)



Credits
Writer(s): Akshath Acharya
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