Silsile

इनकार था तू कभी, इक़रार था मैं
तू काम का दिन था, इतवार था मैं
थे दो दिशाओं में हम खड़े हुए
हाँ मुड़े हुए भी
क़िस्मत के तारों से थे जुड़े हुए भी

जाने कितनी दफ़ा
रास्ते मिलते मिलते रह गये
बहना लिखा था इश्क़ में तो
आख़िर हम बह गए

दो अजनबी
ऐसे मिले
थे पहले से ही तय ये सिलसिले
इक दूसरे में
जो हैं घुले
थे पहले से ही तय ये सिलसिले

वक़्त भी तेज़ भागे
तू साथ हो तो
रात काली धूप लागे
तू साथ हो तो
तेरी बाहों में रहूँ जो
आराम आये
हैरतों के रंग सारे
तू साथ लाये

धीमें धीमें सारी बातें
आँखों से कह गये
रहना लिखा था इश्क़ में तो
आख़िर हम रह गए

दो अजनबी
ऐसे मिले
थे पहले से ही तय ये सिलसिले
इक दूसरे में
जो हैं घुले
थे पहले से ही तय ये सिलसिले



Credits
Writer(s): Alok Ranjan Srivastava, Anurag Mishra
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