Khwabeeda

क्या कमी रही, माहिया? क्यूँ कोई रहा नहीं?
मिली मुझे आवारगी, सज़ा मिली, वफ़ा नहीं.
क्या कमी रही, माहिया? क्यूँ कोई रहा नहीं?
मिली मुझे आवारगी, सज़ा मिली, वफ़ा नहीं

दिए हैं हज़ारों जो दर्द हमें
कोई मरहम, कोई तो दवा भी दो ना
किए हैं हज़ारों सितम जो कभी
सारे ज़ख़्मों की एक ही वजह तुम हो ना

ख़्वाबीदा, तेरी बाँहों में सोना
ख़्वाबीदा, तेरी आँखों का रोना
ख़्वाबीदा, तेरा बेवजह होना
फ़रेबी सा लागे मुझे

ख़्वाबीदा, तेरी बाँहों में सोना
ख़्वाबीदा, तेरी आँखों का रोना
ख़्वाबीदा, तेरा बेवजह होना
फ़रेबी सा लागे मुझे

(फ़रेबी सा लागे मुझे)
(फ़रे-फ़रे-फ़रे-फ़रेबी सा लागे मुझे)
(फ़रे-फ़रे-फ़रे-फ़रेबी सा...)
(फ़रे-फ़रे-फ़रे-फ़रेबी सा...)

कैसे देके दग़ा, सारी सीने से
ग़ैरों के लग के खड़ा माही क्यूँ?
यूँ भुला के रज़ा, मेरी नैनों में
लहरों सा बहता चला माही क्यूँ?

कैसे देके दग़ा, सारी सीने से
ग़ैरों के लग के खड़ा माही क्यूँ?
यूँ भुला के रज़ा, मेरी नैनों में
लहरों सा बहता चला माही क्यूँ?

दिए हैं हज़ारों जो दर्द हमें
कोई मरहम, कोई तो दवा भी दो ना
किए हैं हज़ारों सितम जो कभी
सारे ज़ख़्मों की एक ही वजह तुम हो ना

ख़्वाबीदा, तेरी बाँहों में सोना
ख़्वाबीदा, तेरी आँखों का रोना
ख़्वाबीदा, तेरा बेवजह होना
फ़रेबी सा लागे मुझे

ख़्वाबीदा, तेरी बाँहों में सोना
ख़्वाबीदा, तेरी आँखों का रोना
ख़्वाबीदा, तेरा बेवजह होना
फ़रेबी सा लागे मुझे

(फ़रेबी सा लागे मुझे)



Credits
Writer(s): Pratsofficial, Pratyush Dhiman
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