Likhadi

आं हाँ
लिखता रह Verse
Re-Write Rehearse
कह दे तू सच कैसा है हर्ज
करना महसूस भी बनता है फर्ज
लिख के कमाना है कंधों पे कर्ज
करते हैं अर्ज इल्ल-साह-इल्ल है नाम
कर लेना दर्ज, कर लेना दर्ज
लिखावट-ए-ज़िंदगी हम पे है Curse

जख्म कुरेदे हमने बिकने के लिए
खाए धोखे हमने लिखने के लिए
ये ना सोचो ये गलत है या सही
जब बनाया है सभी को उसने मिटने के लिए
रखते महफिलों में बातें हम अलग
इक झलक की है उनको तलब और ललक

फलक से तोड़ लाएं चांद, शायराना अंदाज है
सुना था कहते उनसे उनको हम पे नाज़ है!
लिखते है सच्चाई! झूठ पर्दाफाश है!
लिखाड़ी हूं मैं और ये मेरी आवाज है
कलम है भारी और शब्दों पे विश्वास है
धड़कने ये साज हैं
और दिल में बसता राज है
जिंदगी है काली और रंगीन मिजाज़ है
लिख दिया था कल लेकिन लिखना बाकी आज है
लिखाड़ी हूं मैं और ये मेरी आवाज है
लिखाड़ी हूं मैं और ये मेरी आवाज है

कहते थे बातें अब लिखते हैं बातें तो बातें ही बातें रह जाती है बस
यादों में खोना नही खोना नही खोना नही यादें ही यादें रह जाती हैं बस
वापस नी आते वो गुजरे बरस
लोग भी कह देते कभी तो हस
थोड़ा तो खा ले तू खुद पे तरस
जीवन में सभी के लिखे हैं कष्ट
बस घस चरस और सब सरस
फिर कश-म-कश में कश पे कश
पर खुद को भी कस न कर आलस
ना होना बेबस हर शक्स विवश
तेरी क्या गलती ना खुद पे बरस
दुनिया को मुट्ठी में कर के तू वश
पीले तू अमृत ये वक्त है रस
सूर्य से पहले नहीं होना तू असत
लिखावट-ए-ज़िंदगी हम पे है Curse
Don't loose Focus
Patience है key तो dont you rush
सब के ना बस का है करना संघर्ष
लिखता रह Verse
Re-Write Rehearse
कह दे तू सच कैसा है हर्ज
करना महसूस भी बनता है फर्ज
लिख के कमाना है कंधों पे कर्ज
करते हैं अर्ज
इल्ल-साह-इल्ल है नाम कर लेना दर्ज
कर लेना दर्ज
इल्ल-साह-इल्ल है नाम कर लेना दर्ज



Credits
Writer(s): Sahil Nandal
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