Bahut Din Huye (feat. Hitesh Prasad)

बहुत दिन हुए, चादरें तारों वाली
बहुत दिन हुए, चादरें तारों वाली
तह कर के सिरहाने, रखे हुए
बहुत दिन

बहुत दिन हुए चांद पुतली में भर के
बहुत दिन हुए चांद पुतली में भर के
पलकें तसल्ली से मूंदे हुए
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन हुए
बहुत दिन हुए बांध कर के रूई में
हवाओं को कानों में भरते हुए
बहुत दिन हुए छत की मुंडेरों पर
बहुत दिन हुए छत की मुंडेरों पर
खुद से ही बातें करते हुए
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन

बहुत दिन हुए टेसू मुट्ठी में भींचे
बहुत दिन हुए टेसू मुट्ठी में भींचे
हथेली को चुपके से रंगते हुए
बहुत दिन हुए भूली बिसरी धुनों को
ओठों से आजाद करते हुए
बहुत दिन
बहुत दिन
बहुत दिन

बहुत दिन



Credits
Writer(s): Ajay Naik
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