Ho Tum Yahan

तेरे मेरे खयालों की मंज़िल अलग है पता है
पर फिर भी तेरे संग जो जीते हर लम्हा नशा है
पागल हो तुम, कहना ज़रा
मूँह फेरे फिर हसना ज़रा
ये क्या हुआ, पल में यहां
हाँ नाह कहो, क्या हो तुम यहाँ
क्या, हो तुम यहाँ?

कुछ आधे अधूरे सवालों की है ये कहानी
उन सवालों में उल्झी निगाहों से तू सुनायी
मिल ना सके तो क्या हुआ
मेरा ज़हन बसेरा तेरा
झूठी सही, तसल्ली मुझे
देकर बता, हाँ हो तुम यहाँ?
हाँ, हो तुम यहाँ!

(समाप्त)



Credits
Writer(s): Piyush Bhisekar
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