Rootha Main

सुना है, दर्द का अलग ही है मज़ा
दिन गुज़रे अब कितने, ना मैं रोया, ना हँसा
साँसें सर्द मेरी, दिल जल के अब धुआँ
जो हुआ है मुझे, हाँ, तुझे भी हुआ

रूठा मैं यहाँ, तुम भी बैठे हो ख़फ़ा
कुछ बचा नहीं क्या हमारे दरमियाँ?
टूटा मैं यहाँ, बिखरे तुम भी हो वहाँ
कुछ बचा नहीं क्या हमारे दरमियाँ?

शब-ए-फ़ुर्क़त जो थी तो ऐसा था लगा
वो रात बीती, मगर सवेरा ना हुआ
बात इतनी भी तो बिगड़ी थी कहाँ
फिर मिलेंगे कभी फ़ुर्सत से ज़रा

रूठा मैं यहाँ, तुम भी बैठे हो ख़फ़ा
कुछ बचा नहीं क्या हमारे दरमियाँ?
टूटा मैं यहाँ, बिखरे तुम भी हो वहाँ
कुछ बचा नहीं क्या हमारे दरमियाँ?
रूठा मैं यहाँ, तुम भी बैठे हो ख़फ़ा
टूटा मैं यहाँ, बिखरे तुम भी हो वहाँ
रूठा मैं यहाँ, तुम भी बैठे हो ख़फ़ा
टूटा मैं यहाँ, बिखरे तुम भी हो वहाँ
मुनासिब ना लगे मुझको अब दूरियाँ
क्या ख़ुश हो तुम भला लेकर ये फ़ैसला?



Credits
Writer(s): Siddhant Bansal
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