Dhar Ke Roop Vikrali

धर के रूप विकराली,नव दिन को विराजी
दाई मोरी पेंड्रावाली,हो मां

लट छिटकाए मईया,देखो कारी कारी
नैना तोरे लाली जैसे,दहकत हो अंगारी

लट छिटकाए मईया,देखो कारी कारी
नैना तोरे लाली जैसे,दहकत हो अंगारी
पहने गले में मुंड माली,नव दिन को विराजी

कनिहा मा साजे तोरे,बघवा के खाल
बाघवा के खाल मईया बघवा के खाल
सोनी तोरे अरज करत हे अब दरस दिखादे
अब दरस दिखादे भवानी अब तो दरस दिखा दे

कनिहा मा साजे तोरे,बघवा के खाल
सोनी तोरे अरज करत हे अब दरस दिखादे

छम छम पैरी बजावत,चली आबे भवानी
नव दिन बर दाई पेंड्रावली हो मां

धर के रूप विक्राली,नव दिन को विराजी



Credits
Writer(s): Siddharth Soni
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