Naina

झूठा जग रैन-बसेरा, साँचा दर्द मेरा
मृग-तृष्णा सा मोह, पिया, नाता मेरा-तेरा

नैना जो साँझे ख़्वाब देखते थे
नैना बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ
नैना जो मिल के रात जागते थे
नैना सहर में पलकें मीचते हैं यूँ

जुदा हुए क़दम, जिन्होंने ली थी ये क़सम
"मिलके चलेंगे हर-दम", अब बाँटते हैं ये ग़म
भीगे नैना जो खिड़कीयों से झाँकते थे
नैना घुटन में बंद हो गए हैं यूँ

साँस हैरान है, मन परेशान है
हो रही सी क्यूँ रुआँसा ये मेरी जान है?
क्यूँ निराशा से है आस हारी हुई?
क्यूँ सवालों का उठा सा दिल में तूफ़ान है?

नैना थे आसमाँ के सितारे
नैना ग्रहण में आज टूटते हैं यूँ
नैना कभी जो धूप सेंकते थे
नैना ठहर के छाँव ढूँढते हैं यूँ

जुदा हुए क़दम, जिन्होंने ली थी ये क़सम
"मिलके चलेंगे हर-दम", अब बाँटते हैं ये ग़म
भीगे नैना जो साँझे ख़्वाब देखते थे
नैना बिछड़ के आज रो दिए हैं यूँ



Credits
Writer(s): Pritam, Amitabh Bhattacharya
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