O Ratlam, teri yaadon main basi jindagi ki pyas

ओ रतलाम, तेरी यादों में बसी ज़िन्दगी की प्यास
रेल की पटरियों से जुड़ी, हर दिल की आवाज़
लोक नृत्य और रागिनी से, सजती राते यहाँ
रतलाम की इन बहारों में, खिलती हर इक आस

सोने की नगरी कहलाए, साड़ी की है शान
यहाँ बाजार ऐसे सजता, जैसे त्योहारों की जान
यहाँ से गुजरा जो कोई, ले जाए खास तोहफा
रतलाम में व्यापार, जेसे सच्चा सौदा

धरती से आसमान तक, बसी है कहानियां
कालिका मां के दरबार में, जलती रहती दीया
मेले और उत्सवों का, यहां हर दिन है बहार
रतलाम की ये रंगीनी, बिखेरे जग में प्यार

आओ तुम भी महसूस करो, इस शहर की बातें
हर पल यहाँ के संग, बुनती जाए यादों के धागे
आधुनिकता के साथ बुनी, परंपरा की ये चादर
यहाँ हर कोई करे एक दूसरे का सम्मान आदर



Credits
Writer(s): Gurmeet Singh Dang
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