Hanumant Bhare Udaan

राम नाम के पंख लगा के हनुमत भरें उड़ान
(हनुमत भरें उड़ान)
महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान
(हनुमत भरें उड़ान)

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा

राम काज करिबे को आतुर
चल दिए चतुर सुजान
(हनुमत भरें उड़ान)

नहीं विश्राम, नींद नहीं, भोजन
करना पार चार शत योजन
तुमसे है कपि धर्म प्रतिष्ठा
उपमा हीन तुम्हारी निष्ठा

तीन लोक में राम भक्त, कोई नहीं हुनमंत समान
(हनुमत भरे उड़ान)
रे, राम भक्ति के पंख लगाके हनुमत भरें उड़ान
(हनुमत भरें उड़ान)

महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान
(हनुमत भरें उड़ान)



Credits
Writer(s): Ravindra Jain
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