Param Panthni Prapti

परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति

परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति

संसार छूटे
तेनो रस पण छूटे
मृगजऴनां सुखोनी मारी
तरस पण तूटे
संसार छूटे
तेनो रस पण छूटे
मृगजऴनां सुखोनी मारी
तरस पण तूटे

आत्मगुणोनी हो व्याप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
आत्मगुणोनी हो व्याप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति

सारो देखावुं नथी
सारो थावुं छे मारे
सारो थावा माटे
तारो थावुं छे मारे
सारो देखावुं नथी
सारो थावुं छे मारे
सारो थावा माटे
तारो थावुं छे मारे
तव हृदयाकाशनो
तारो थावुं छे मारे
तारामां भऴी जवा
तारामां पारामां
पारामां तारामां
पारामां भऴी जवा
पारो थावुं छे मारे

न हो आहार पर्याप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति

हैयुं मारुं रंगाई गयुं छे जेना प्रेमथी
हाथ हवे महेंदीथी रंगाशे ए ज नेमथी
हैयुं मारुं रंगाई गयुं छे जेना प्रेमथी
हाथ हवे महेंदीथी रंगाशे ए ज नेमथी
महेंदीनो रंग भले
हाथथी चाल्यो जाशे
नेम-नामनो रंग
हैयाथी कदि नवि जाशे

सिद्धिपदनी संप्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
परम पंथनी प्राप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति
भव-भ्रमणानी समाप्ति



Credits
Writer(s): Raj Vihar, Rajsundar Vijayji
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