Kaisa Ye Raaz Hai

Hmm, रातों की तन्हाई में
सुबहों की परछाई में, hey-hey-hey
चेहरा है क्या ये मेरी आँखों में?
ख़ुशबू है क्या ये मेरी साँसों में?

कैसा ये राज़ है जो कि खुलता नहीं?
क्यूँ मेरे ज़हन में तू है, ऐ अजनबी? (अजनबी)

Hmm, होता है जो सवालों में
मिलता नहीं जवाबों में
रहता है जो ख़यालों में
अब तक है वो हिजाबों में

है दिल का ये कैसा मौसम?
ना धूप है, ना है शबनम, ओ

कैसा ये राज़ है जो कि खुलता नहीं?
क्यूँ मेरे ज़हन में तू है, ऐ अजनबी? (अजनबी)

रातों की तन्हाई में
सुबहों की परछाई में, hey-hey-hey
चेहरा है क्या ये मेरी आँखों में?
ख़ुशबू है क्या ये मेरी साँसों में?

जाने है क्या सितारों में
गर्दिश सी है इशारों में
पतझड़ सी है बहारों में
तूफ़ाँ सा है किनारों में

दस्तक सी है क्या ये हर-दम
आहट सी है क्या ये हर-दम, ओ

कैसा ये राज़ है जो कि खुलता नहीं?
क्यूँ मेरे ज़हन में तू है, ऐ अजनबी? (अजनबी)

(कैसा ये राज़ है?)
(अजनबी, अजनबी)



Credits
Writer(s): Pranay M. Rijia, Sayeed Quadri
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