Shani Chaalisa

जयति जयति शनिदेव दयाला
करत सदा भक्तन प्रतिपाला
चार भुजा तनु श्याम विराजै
माथे रतन मुकुट छवि छाजै

(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)
(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)

परम विशाल मनोहर भाला
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके
हिये माल मुक्तन मणि दमकै

(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)
(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)

कर में गदा त्रिशूल कुठारा
पल बिच करैं अरिहिं संहारा
पिंगल, कृष्णो, छाया, नन्दन
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन

(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)
(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)

सौरी, मन्द शनी दश नामा
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा
जापर प्रभु प्रसन्न हवैं जाहीं
रंकहुं राव करैं क्षण माहीं

(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)
(जय-जय शिंगणापुर वाले, शनि देवा)

पर्वतहू तृण होइ निहारत
तृणहू को पर्वत करि डारत



Credits
Writer(s): Sanjeevani Bhelande
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