Ek Tarfa

मेरा एक-तरफ़ा था ये प्यार
दो-तरफ़ा निभाता हूँ मैं
कभी ख़ुद ही का दिल तोड़ के
ख़ुद ही को मनाता हूँ मैं

जैसे नूर किसी महफ़िल का, हर ज़ख़्म मेरे इस दिल का
हर शाम सजाता हूँ मैं
फिर यादों की मनमर्ज़ी, ये जाम, ये ख़ुद-ग़र्ज़ी
तेरे नाम पिरोता हूँ मैं

इतने रहें हम तुमसे दूर के दूरी रास आ गई
इतनी मोहब्बत की के मोहब्बत ख़ुद ही पास आ गई
इतने रहें हम तुमसे दूर के दूरी रास आ गई
इतनी मोहब्बत की के मोहब्बत ख़ुद ही पास आ गई

मेरा एक-तरफ़ा सा इज़हार
ना किसी को दिखाता हूँ मैं
कभी ख़ुद ही का दिल तोड़ के
ख़ुद ही को मनाता हूँ मैं

हाँ, ढूँढना बहाना और किश्तों में जताना
बे-वजह है, समझता हूँ मैं
"थोड़ा झूठ भी, थोड़ा सच भी, थोड़ा सही, थोड़ा ग़लत भी
सब बोल दो", कहता हूँ मैं

इतने रहें हम तुमसे दूर के दूरी रास आ गई
इतनी मोहब्बत की के मोहब्बत ख़ुद ही पास आ गई
इतने रहें हम तुमसे दूर के दूरी रास आ गई
इतनी मोहब्बत की के मोहब्बत ख़ुद ही पास आ गई



Credits
Writer(s): Adeip Singh, Arko
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