Shakkarpari

ओ, गलियाँ-गलियाँ फुदकती भागे
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय
ए, मिसरी सी मुस्कान दिखा के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय

पाँव पे पहिया-बंद हवाई
हाथ किसी के भी वो ना आई
बत्तियाँ तो सुनो ऐसी सानी
जैसे सारे शहर की रानी

पंख से झरते चाँद की नदी
घर-मोहल्ला चाँदी-चाँदी
क्यूँ है जाना काबा-काशी?
धरती पे मिठास आकाशी

हर सीने में दीया जला के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय

ओ, नर्म, रेशमी लहज़ा गहना
Cherry होठों पर है बहना
रोशनदान दो कारे नैना
झाँके रूह की शातिर मैना

बिन तेरे, बिन तेरे ख़ारा हुआ सब
बिन तेरे, बिन तेरे ख़ारा हुआ
संग तेरे, संग तेरे मीठा हुआ सब
संग तेरे, संग तेरे मीठा हुआ

पत्थर दिल को हलवा बना के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय

हे, दाईं कलाई पे तेरे "ज़िंदगी" है लिखा
बाईं के लकीरों में फ़क़ीरा को फँसा ले ज़रा
भीगे होंठों पर धुन मचले, वो जहाँ से गुज़रती है
किरणों को सुइयों में पिरो के, ज़ख़्मों को सिला करती है

मीठा मरहम वो लगाए
ग़म सारे पिघल जाए
वो जो आए, उम्मीदें गाएँ
ख़्वाहिश दीन की जग जाए

ख़ारी दुनिया प्यारी बना के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय

चाहे गरम December आए, चाहे गरम सागर हो जाए
क्या रोना-रोना, शक्करपरी ना
चाँद धप्पी से टक्कर खाए, क़ायनात भी चक्कर खाए
क्या रोना-रोना, शक्करपरी ना

चाहे गरम December आए, चाहे गरम सागर हो जाए
क्या रोना-रोना, शक्करपरी ना
चाँद धप्पी से टक्कर खाए, क़ायनात भी चक्कर खाए
क्या रोना-रोना, शक्करपरी ना

रात मेरे सारे गिर जाएँ, चाँद मेरे संग बह कर जाएँ
जाना ना-ना शक्करपरी ना, ओ

दिल में पक्का बसेरा बना के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय
ओ, फिर से जीने की आस जगा के
शक्करपरी चली शक्कर चुरा के, हाय



Credits
Writer(s): Raghu Dixit
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