Janki Stuti

जय जनक नंदिनी जगत वंदिनी जग आनंद श्री जानकी
रघुवीर नयन चकोर चन्दिनी श्री वल्लभा प्रिय प्राण की
तब कंज पद मकरंद स्वादित योगी जन मन अलि किये
करि पान गिनत हि आनहि निर्वाण सुख आनत हिए
सुख खानि मंगल जानि जड़ जिय जानि शरण जो जात है
तब नाथ सब सुख साथ करि तेहि हाथ रिझि विकात है
ब्रह्मादि शिव सनकादि सुरपति आदि निज मुख भाषाई
तव कृपा नयन कटाक्ष चितवनि दिवस निश अभिलाषहि

तनु पाई तुमहि बिहाय जड़मति आन मानस सेवहि
यह आस रघुवर दास के सुख आस पूरन कीजिये
निज चरण कमल सनेह जनक विदेह जावर दीजिए
महाराज करि करुणा बिलोकहि देहु जो वर मॉंगहिं
जेहि जोनि जन्महुँ कर्म बसतह रामजी पद अनुरागहों
रामजी पद अनुरागहों
रामजी पद अनुरागहों



Credits
Writer(s): Traditional, Vickky Agarwal
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