Ishq Ki Baarish

दिल लगाना है गलत, मुझसे कहा जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा
पीछे अँधेरा छोड़कर
बंधन मैं सारे तोड़कर
अपनी लकीरें हाथ की
आसां नहीं, पर मोड़कर
जो मेरी मंजिल से बिलकुल थी परे राहे-गुज़र
मैं उसी ख्वाबों के रस्ते पर सदा जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा
क्या हक मुझे जो मांगता
क्या मैं गिरेबां झांकता
कोई मेरा सोचे भी क्यूँ
औकात अपनी आंकता
इक अधूरा चाँद ही हिस्से में आकर रह गया
जब कभी कोई यहाँ नामा पढ़ा जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा
पर्दों के पीछे राज है
कुछ अनकहे अंदाज हैं
तुमको लगा मैं गिर रहा
अब ये मेरा परवाज है
डूबता जैसे रहा सूरज समंदर में कहीं
हर किसी का खाली पैमाना भरा जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा
दिल आईने को देखकर
कहता है कि मेहमान है
जो अपने ही चेहरे पे है
उस नूर से अनजान है
मुस्कराहट उसकी सबको बाँटती थी ज़िन्दगी
उन लबों को देखकर मैं भी मरा जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा
इश्क़ की बारिश वहाँ थी
इश्क़ की बारिश वहाँ थी
(इश्क़ की बारिश वहाँ थी मैं जहाँ जाता रहा)
मैं जहाँ जाता रहा



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