Manzar Hai Ye Naya

काँधे पे सूरज टिका के चला तू
हाथों में भर के चला बिजलियाँ

काँधे पे सूरज टिका के चला तू
हाथों में भर के चला बिजलियाँ
तूफ़ाँ भी सोचे, ज़िद तेरी कैसी
ऐसा जुनूँ है किसी में कहाँ

बहता चला तू, उड़ता चला तू
जैसे उड़ें बे-धड़क आँधियाँ
बहता चला तू, उड़ता चला तू
जैसे उड़ें आँधियाँ

मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया
कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ
मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया
कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ
कँपते थे रस्ते, लोहे से बस्ते
बस्तों में तू भर चला आसमाँ
आएँगी सदियाँ, जाएँगी सदियाँ
रह जाएँगे फिर भी तेरे निशाँ

बहता चला तू, उड़ता चला तू
जैसे उड़ें बे-धड़क आँधियाँ
बहता चला तू, उड़ता चला तू
जैसे उड़ें आँधियाँ

मंज़र है ये नया, मंज़र नया, मंज़र है ये नया
कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ
मंज़र है ये नया, मंज़र नया (मंज़र है ये नया)
कि उड़ रही हैं बे-धड़क सी आँधियाँ



Credits
Writer(s): Abhiruchi Chand, Shashwat Sachdev
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