Kanhaiya

सजी है जो
तेरे चेहरे पे ये मुस्कान
ओ कान्हा
(ओ कान्हा)
भुला देती है
मेरे दिल के सारे दर्द
सारे डर
(सारे डर)
चुरा लेते हो तुम
माखन समझ कर
मेरी पीड़ा को
(पीड़ा को)
सुलझती है
मेरी उलझन
तेरे बंसी बजाने पर
मुरली बजैया
तू ही खिवैया
तेरे प्रेम की डोरी से
बाँध ली जीवन की नैया
भवसागर पार करा दे
ओ ओ ओ, ओ रे कन्हैया
(ओ रे कन्हैया)
ओ ओ ओ, ओ रे कन्हैया
ना मैं राधा
ना मैं मीरा
मैं तो बस एक गोपी हूँ
(गोपी हूँ)
मिटा देते हो
तुम ये भेद मगर जब
रास रचाते हो
(रचाते हो)
मेरे मन को
विकारों से
दो मुक्ति आज मधूसूदन
तेरी भक्ति मेरा सागर
मेरी धरती, मेरा अम्बर
मुरली बजैया
तू ही खिवैया
तेरे प्रेम की डोरी से
बाँध ली जीवन की नैया
भवसागर पार करा दे
ओ ओ ओ, ओ रे कन्हैया
(ओ रे कन्हैया)
ओ ओ ओ, ओ रे कन्हैया



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