Ghaav

(होने दे)
(होने दे)
ये खत्म सिलसिला
होने दे
ये खत्म सिलसिला
होने दे
ये खत्म सिलसिला होने दे
इस शाम को ढलने सोने दे
अन्धेरे में खोने दे
हां दर्द में दिल को रोने दे
सैलाब उमड़ कर आयेगा
ये घाव जो है भर जायेगा
ये घाव जो है
भर जायेगा
जब बीते पलों का साया मंडराये तो
ये वक़्त भी चुप्पी साधे ठहर सा जाये तो
उन कच्चे चिट्ठों को
उन फीके किस्सों को
चिंगारी दे, आग लगा दे
अंधेरे को दूर भगा दे
हाथ बढ़ा कर छोर पकड़ ले सुबह का
आने वाले दिन को रोशन होने दे
ये खत्म सिलसिला होने दे
इस शाम को ढलने सोने दे
अन्धेरे में खोने दे
हां दर्द में दिल को रोने दे
सैलाब उमड़ कर आयेगा
ये घाव जो है भर जायेगा
ये घाव जो है
भर जायेगा
दिल से लगा के झूठी एक कहानी क्यूँ
यादों के सहरा में ढूँढता पानी क्यूँ
उन गुमसुम गलियों में
सूनी सी रलियों में
चीख चीख के, शोर मचा दे
सन्नाटे को दूर भगा दे
हाथ बढ़ा कर छोर पकड़ ले सुबह का
आने वाले दिन को रोशन होने दे
ये खत्म सिलसिला होने दे
इस शाम को ढलने सोने दे
अन्धेरे में खोने दे
हां दर्द में दिल को रोने दे
सैलाब उमड़ कर आयेगा
ये घाव जो है भर जायेगा
ये घाव जो है
भर जायेगा
भर जायेगा



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