Yadon Ki Pari (feat. Junaid Ahmad)

साँसों के आँगन में,
दर्द की आहट से,
नींद जब टूटती है,
एक सफ़ेद चादर में,
यादों की परी आती है।

बाहों में फूल हैं,
और चन्द कलियाँ हैं,
माज़ी की खिड़की है,
सोच की गलियाँ हैं,।
रेत की दीवारें है,
और एक घरौंदा है।

जिस्म के इस चौखट पर
मेरा नाम लिखा है।
इक हवा सी चलती है,
काले बादल छाते हैं,
ज़ख़्म पे पानी रिसता है,
और जो तूफ़ाँ उठता है,
ना तो वो घरौंदा है और ना दीवारें हैं।

जिस्म के इस टूटे पिंजरे में सिर्फ़ एक झूला झूलता है।
रूह की चिड़िया बादल में परी बन उड़ जाती है और साँसों के आँगन में दर्द की आहट से नींद जब टूटती है,
एक सफ़ेद चादर में,
यादों की परी आती है।

चमन के माली से किसी ने पूछा होता,
गर्म लावे का सूरज और टूटी छतरी का साया,
उस मासूम पौधे पर पसीने की इक बूँद, एक उम्मीद, एक आस लिए जब वो उस पौधे को सींचता सँवारता उस फूल का ख़्वाब देखता है तो उसके सूखे चेहरे पर मुस्कुराहट की एक पपड़ी दिखाई देती है।
कब ये कलियाँ फूटेंगी, बाज़ारों में बेचूँगा और दो रोटियाँ ख़रीदूँगा।
सीने के पिंजरे में बंद भूखा परिंदा जो धड़कता रहता है उसे एक बूँद घूँट की मिल जाएगी,
शायद भूख भी मिट जाएगी।
फिर फ़क़ीर की सदा, दिन का ख़्वाब बड़ा सुहाना होता है, दिल के बहलाने का बहाना होता है।



Credits
Writer(s): Tajdar Junaid
Lyrics powered by www.musixmatch.com

Link