Yeh Lamha

रात की बात सा ये लमहा
मौसमी साथ सा ये लमहा
हल्की सी बरसात सा ये लमहा
शबनमी हाथ सा ये लमहा

ख़ाली सी चाह ये डूबे
क्यूँ होते हैं अनकहे सपने?

काँपते हाथ सा ये लमहा
साए के साथ सा ये लमहा
आज फिर कौन सा कल है?
बुझ गया, सिमटा ये पल है

ख़ाली सी चाह ये डूबे
क्यूँ होते हैं अनकहे सपने?

चुभती गरमी क सावन में खिल गया
यादों के बिखरे जंगल में मिल गया
चुभती गरमी के सावन में खिल गया
यादों के बिखरे जंगल में मिल गया

चुभती गरमी के सावन में खिल गया
यादों के बिखरे जंगल में मिल गया
चुभती गरमी के सावन में खिल गया
यादों के बिखरे जंगल में मिल गया



Credits
Writer(s): Suraj Jagan
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