Kya Mujhe Pyar Hai

क्यूँ आजकल नींद कम ख़्वाब ज़्यादा है
लगता खुदा का कोई नेक इरादा है
कल था फकीर आज दिल शहज़ादा है
लगता खुदा का कोई नेक इरादा है
क्या मुझे प्यार है
कैसा खुमार है

पत्थर के इन रस्तों पे
फूलों की इक चादर है
जबसे मिले हो हमको
बदला हर इक मंज़र है
देखो जहां में नीले-नीले आसमां तले
रंग नये-नये हैं जैसे घुलते हुए
सोए से ख्वाब मेरे जागे तेरे वास्ते
तेरे ख़यालों से हैं भीगे मेरे रास्ते
क्या मुझे प्यार है...

तुम क्यों चले आते हो
हर रोज इन ख्वाबों में
चुपके से आ भी जाओ
इक दिन मेरी बाहों में
तेरे ही सपने अंधेरों में, उजालों में
कोई नशा है तेरी आँखों के प्यालों में
तू मेरे ख्वाबों में, जवाबों में, सवालों में
हर दिन चुरा तुम्हें मैं लाता हूँ ख़यालों में
क्या मुझे प्यार है...



Credits
Writer(s): Neelesh Misra
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