Yeh Main Kahan

ये मैं कहाँ आके फँस गया?
ना जोश है, ना ही शोर है

ये मैं कहाँ आके फँस गया?
ना जोश है, ना ही शोर है
दो ही घड़ी में घबरा गया
यहाँ ज़िंदगी बड़ी bore है

आए नज़र ना कोई रास्ता
किन से पड़ा है मेरा वास्ता
समझ में कुछ भी आए ना
मैं क्या करूँ भला?

ये मैं कहाँ आके फँस गया?
ना जोश है, ना ही शोर है

कोई जाने ना यारों के बिना
खोया-खोया सा मैं रहूँ
याद आ रहे बीते दिन मुझे
कैसे ये घुटन मैं सहूँ?

देखो तो ग़ौर से, अच्छा सा jail है
तुम सारे रहते जहाँ
ना कोई ख़्वाब है, ना कोई रंग है
ना कोई है दास्ताँ
नींद से जागो, साथ मेरे भागो
मुश्किल है जीना यहाँ

पूछो ज़रा, है कैसी ज़िंदगी
जैसे जियो है वैसी ज़िंदगी
जहाँ है ग़म, वहीं ख़ुशी
ये सोचो तो ज़रा

ये मैं कहाँ आके फँस गया?
ना जोश है, ना ही शोर है

नफ़रतें यहाँ रुकती ही नहीं
इस दुनिया में प्यार है
बेगाना है यहाँ कोई भी नहीं
ऐसा ये परिवार है

धरती की गोद में ये अपना स्वर्ग है
हँस के यहाँ रहते हैं हम
हैं ऊँचे हौसले, उम्मीदें भी हैं जवाँ
हमको ना यहाँ कोई ग़म
नादाँ है, बच्चा है, अक़्ल का तू कच्चा है
तुझको नहीं कुछ भी पता

बुड्ढे पेड़ हो, कुछ ना पाओगे
झुकोगे ना जो तुम तो टूट जाओगे
ना ज़िद करो रे, मान लो ये कहना तुम मेरा

आती-जाती हैं मुश्किलें बड़ी
हार हम कभी मानते नहीं
जान जाओगे, मान जाओगे
तुम अभी हमें जानते नहीं

ये बताएँगे, बेटा, कल तुझे
बूढ़े पेड़ ही देंगे फल तुझे
बुज़ुर्गों की जो ना सुने, वो रोए बाद में

ये मैं कहाँ आके फँस गया?
ना जोश है, ना ही शोर है



Credits
Writer(s): Sameer Anjaan, Wajid Khan, Sajid Khan
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