Kisine Apna Bana Ke Mujhko

किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसी ने हँस के चिराग़ जैसे जला दिया

शरम के मारे मैं कुछ ना बोली...
शरम के मारे मैं कुछ ना बोली, नज़र ने पर्दा गिरा दिया
मगर वो सबकुछ समझ गये हैं, के दिल भी मैंने गवाँ दिया
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

ना प्यार देखा, ना प्यार जाना
ना प्यार देखा, ना प्यार जाना
सुनी थी लेकिन कहानियाँ, सुनी थी लेकिन कहानियाँ
जो ख़्वाब रातों में भी ना आया, वो मुझको दिन में दिखा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

वो रंग भरते है ज़िन्दगी में...
वो रंग भरते है ज़िन्दगी में, बदल रहा है मेरा जहाँ
कोई सितारें लूटा रहा था, किसी ने दामन बिछा दिया
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया



Credits
Writer(s): Jaikshan Shankar, Shailendra
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